Shri Omkareshwar

सके पश्चात धार के परमार राजवंश, मालवा के सुलतान एवं ग्वालियर के सिंधिया घराने से होता हुआ १८२४ में अंग्रेजों के नियंत्रण में चला गया. अंतिम भील शासक नाथू भील का यहाँ के एक प्रमुख पुजारी दरियाव गोसाईं से विवाद हुआ, जिन्होंने जयपुर के राजा को पत्र द्वारा नाथू भील के खिलाफ सहायता मांगी तब राजा ने उनके भाई एवं मालवा में झालर पाटन के सूबेदार भरत सिंह चौहान को भेजा. अंततः इस विवाद का समापन भारत सिंह द्वारा नाथू भील कि एकमात्र पुत्री से विवाह के रूप में हुआ अन्य राजपूत योद्धाओं ने भी भील कन्याओं से विवाह किये एवं ११६५ ईसवी में मान्धाता में बस गए. इनके वंशज भिलाला कहलाए. भरत सिंह के वंशजों ने लंबे समय तक ओंकारेश्वर पर राज किया. ब्रिटिश राज के दौरान ओंकारेश्वर जागीर के रूप में राव परिवार के पास रहा

Description

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में चौथा ओम्कारेश्वर है. ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से हुआ था. वेद पाठ का प्रारंभ भी ॐ के बिना नहीं होता है. उसी ओमकार स्वरुप ज्योतिर्लिंग श्री ओम्कारेश्वर है, अर्थात यहाँ भगवान शिव ओम्कार स्वरुप में प्रकट हुए हैं. ज्योतिर्लिंग वे स्थान कहलाते हैं जहाँ पर भगवान शिव स्वयम प्रकट हुए थे एवं ज्योति रूप में स्थापित हैं. प्रणव ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से समस्त पाप भस्म हो जाते है.पुराणों में स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में ओम्कारेश्वर क्षेत्र की महिमा उल्लेख है. ओम्कारेश्वर में कुल ६८ तीर्थ है. यहाँ ३३ कोटि देवता विराजमान है. दिव्य रूप में यहाँ पर १०८ प्रभावशाली शिवलिंग है. ८४ योजन का विस्तार करने वाली माँ नर्मदा का विराट स्वरुप है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर से ७७ किमी की दुरी पर है. एवं यह ऐसा एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जो नर्मदा के उत्तर तट पर स्थित है. भगवान शिव प्रतिदिन तीनो लोकों में भ्रमण के पश्चात यहाँ आकर विश्राम करते हैं. अतएव यहाँ प्रतिदिन भगवान शिव की विशेष शयन व्यवस्था एवं आरती की जाती है तथा शयन दर्शन होते हैं.

आज ओंकारेश्वर एक सुन्दर एवं जीवंत शहर के रूप में विकसित हुआ है. यहाँ कि जनसँख्या वर्ष २००१ में ६११६ एवं वर्ष २०११ कि जनगणना के अनुसार १००६२ है. नगर का सर्वांगीण विकास हुआ है. अब यहाँ सुन्दर बाजार, होटल, व बगीचे हैं. नगर कि देखभाल नगर पंचायत ओंकारेश्वर  द्वारा की जाती है.
मध्यप्रदेश शासन ने यहाँ कई सुविधाएं जैसे की हायर सेकेन्डरी स्कूल, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, पोस्ट ऑफिस, अतिरिक्त तहसीलदार का कार्यालय, वन विभाग का कार्यालय एवं विश्राम गृह एन.वी.डी.ऐ एवं एन.एच.डी.सी के कार्यालय एवं विश्राम गृह हैं.
ओंकारेश्वर में विभिन्न बैंकों ने अपनी शाखाएं खोली हैं जिनमें स्टेट बैंक, सेवा सहकारी समिति बचत बैंक एवं नर्मदा मालवा ग्रामीण बैंक मुख्य है. भक्तगणों कि सुविधा के लिए स्टेट बैंक द्वारा यहाँ ए.टी.एम. सुविधा भी दी गई है.
मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा यहाँ रेस्टोरेन्ट एवं विश्राम गृह की स्थापना की गई है। जिसमे नया होटल टेम्पल व्यू भी बनाया गया है.ओंकारेश्वर को ओमकार जी भी कहा जाता है. ओमकार शब्द कि उत्पत्ति ओम से हुई है. जिसका उच्चारण हर प्रार्थना के पहले किया जाता है.ओंकारेश्वर नगर

ओंकारेश्वर नगर तीन पुरियों में विभक्त है

ब्रम्हपुरी    यहाँ दक्षिणी तट पर भगवान ब्रम्हा का एक मंदिर है
विष्णुपुरी   यहाँ पर भगवान विष्णु का मंदिर है
शिवपुरी    यहाँ भगवान ओंकारेश्वर का मन्दिर है. 
इतिहास के अनुसार मान्धाता ओंकारेश्वर का शासन भील शासकों के अधीन था. उसके पश्चात धार के परमार राजवंश, मालवा के सुलतान एवं ग्वालियर के सिंधिया घराने से होता हुआ १८२४ में अंग्रेजों के नियंत्रण में चला गया. अंतिम भील शासक नाथू भील का यहाँ के एक प्रमुख पुजारी दरियाव गोसाईं से विवाद हुआ, जिन्होंने जयपुर के राजा को पत्र द्वारा नाथू भील के खिलाफ सहायता मांगी तब राजा ने उनके भाई एवं मालवा में झालर पाटन के सूबेदार भरत सिंह चौहान को भेजा. अंततः इस विवाद का समापन भारत सिंह द्वारा नाथू भील कि एकमात्र पुत्री से विवाह के रूप में हुआ अन्य राजपूत योद्धाओं ने भी भील कन्याओं से विवाह किये एवं ११६५ ईसवी में मान्धाता में बस गए. इनके वंशज भिलाला कहलाए. भरत सिंह के वंशजों ने लंबे समय तक ओंकारेश्वर पर राज किया. ब्रिटिश राज के दौरान ओंकारेश्वर जागीर के रूप में राव परिवार के पास रहा .

Additional information

Pooja

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Prasad

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