Mehndipur Balaji

सिद्ध पीठ श्री बालाजी घाटा मैंहदीपुर के महन्त श्रीमान् किशोरपुरी जी महाराज के हार्दिक सत्संकल्प के फलस्वरूप सम्वत् २०४५ के माघ मास की शुल्क त्रयोदशी बुधवार के शुभ दिन श्री मारुति मन्दिर के सम्मुख सन्संग भवन में श्री सीताराम जी महाराज की प्राण प्रतिष्ठा हुई । इस प्रतिष्ठा महोत्सव में इक्कीस योग्य और सुधी पंडितों ने भाग लिया ।

Description

प्राचीन काल में मेहंदीपुर घोर जंगल के बीच था। यहाँ घनी झाड़ियाँ थी, शेर-चीता, बघेरा आदि जंगल में जंगली जानवर रहते थे। चोर-डाकूओं का इस गांव में डर था। श्री बालाजी मंदिर के महंत श्री किशोरपुरी जी महाराज के जो पूर्वज थे, उनको स्वप्न दिखाई दिया और स्वप्न की अवस्था में वे उठ कर चल दिए उन्हें ये पता नही था कि वे कहाँ जा रहे हैं। स्वप्न की अवस्था में उन्होंने अनोखी लीला देखी एक ओर से हजारों दीपक जलते आ रहे हैं। हाथी घोड़ो की आवाजें आ रही हैं। एक बहुत बड़ी फौज चली आ रही है उस फौज ने श्री बालाजी महाराज जी, श्री भैरो बाबा, श्री प्रेतराज सरकार, को प्रणाम किया और जिस रास्ते से फौज आयी उसी रास्ते से फौज चली गई। और गोसाई महाराज वहाँ पर खड़े होकर सब कुछ देख रहे थे। उन्हें कुछ डर सा लगा और वो अपने गांव की तरफ चल दिये घर जाकर वो सोने की कोशिश करने लगे परन्तु उन्हे नींद नही आई बार-बार उसी स्वप्न के बारे में विचार करने लगे। जैसे ही उन्हें नींद आई। वो ही तीन मूर्तियाँ दिखाई दी, विशाल मंदिर दिखाई दिया और उनके कानों में वही आवाज आने लगी और कोई उनसे कह रहा बेटा उठो मेरी सेवा और पूजा का भार ग्रहण करो। मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूँगा। और कलयुग में अपनी शक्तियाँ दिखाऊॅंगा। यह कौन कह रहा था रात में कोई दिखाई नही दिया।

गोसाई जी महाराज इस बार भी उन्होंने इस बात का ध्यान नही दिया अंत में श्री बालाजी महाराज ने दर्शन दिए और कहा कि बेटा मेरी पूजा करो दूसरे दिन गोसाई जी महाराज उठे मूर्तियों के पास पहुंचे उन्होंने देखा कि चारों ओर से घण्टा, घडियाल और नगाड़ों की आवाज आ रही है किंतु कुछ दिखाई नही दिया इसके बाद गोसाई महाराज नीचे आए और अपने पास लोगों को इकट्ठा किया अपने सपने के बारे में बताया जो लोग सज्जन थे उन्होने मिल कर एक छोटी सी तिवारी बना दी लोगों ने भोग की व्यवस्था करा दी बालाजी महाराज ने उन लोगों को बहुत चमत्कार दिखाए। श्री बालाजी महाराज की प्रतिमा विग्रह जहाँ से निकली थी, लोगों ने उन्हे देखकर सोचा कि वह कोई कला है। तो वह मूर्ति फिर से लुप्त हो गई फिर लोगों ने श्री बाला जी महाराज से क्षमा मांगी तो वो मूर्तियाँ दिखाई देने लगी। श्री बाला जी महाराज की मूर्ति के चरणों में एक कुंड है। जिसका जल कभी खत्म नही होता है। रहस्य यह है कि श्री बालाजी महाराज के ह्रदय के पास के छिद्र से एक बारिक जलधारा लगातार बहती है। उसी जल से भक्तों को छींटे लगते हैं।

यह चोला चढ़ जाने पर भी जलधारा बन्द नही होती है। इस तरह तीनों देवताओं की स्थापना हुई। श्री बालाजी महाराज जी की, प्रेतराज सरकार और भैरो बाबा की स्थापना हुई। श्री बालाजी महाराज ने गोसाई जी महाराज को साक्षात दर्शन दिए थे। उन्होंने श्री बालाजी महाराज से प्रार्थना की, कि श्री बाला जी महाराज मेरी एक इच्छा है कि आपकी सेवा और पूजा का भार मेरा ही वंश करे। तब से आज तक गोसाई जी महाराज का परिवार ही पूजा का भार सम्भाल रहे हैं। यहाँ पर लगभग 1000 वर्ष पहले बालाजी प्रकट हुए थे। श्री बालाजी महाराज कलयुग के अवतार हैं संकट मोचन हैं।

कहा जाता है कि अजमेर जाते हुए एक यवन शासक ने यहा आने पर श्री बालाजी महाराज की मूर्ति खोदने की कोशिश की थी। उसके सनिकों ने मूर्ति खोदने का काफी प्रयास किया, मगर काफी खोदने पर भी मूर्ति का ओर-छोर नहीं मिला। श्री बालाजी महाराज ने उस समय ऐसा चमत्कार दिखाया जिसे देखकर यवन शासक एवं उसके सैनिक डर से भाग खड़े हुए।

सिद्ध पीठ श्री बालाजी घाटा मैंहदीपुर के महन्त श्रीमान् किशोरपुरी जी महाराज के हार्दिक सत्संकल्प के फलस्वरूप सम्वत् २०४५ के माघ मास की शुल्क त्रयोदशी बुधवार के शुभ दिन श्री मारुति मन्दिर के सम्मुख सन्संग भवन में श्री सीताराम जी महाराज की प्राण प्रतिष्ठा हुई । इस प्रतिष्ठा महोत्सव में इक्कीस योग्य और सुधी पंडितों ने भाग लिया ।

श्री अंजनीलाल के बालरूप की पुजा के कारण ही यह बालाजी कहलाये। घाटा मेहंदीपुर में श्री बालाजी के इसी बालरूप की पुजा होती हैं। घाटा मेहंदीपुर में श्री बालाजी महाराज अपने प्रभु श्री रामचंद्र जी एवं माता सीता का निरंतर दर्शन करते हैं, एवं जो भक्त श्री राम परिवार का दर्शन लाभ करता हैं, उसपर श्री बालाजी जी महाराज की विशेष कृपा रहती हैं |

6:00 am Temple Opening Hours
6:15 am – 6:45 am (Summer)
6:25 am – 6:55 am ( Winter)
Morning Aarti
7:30 am – 11:30 am Normal Darshan
11:30 am – 12:00 pm Balaji Curtain will be closed
12:00 pm – 8:30 pm Normal Darshan
7:15 pm – 7:45 pm (Summer)
6:35 pm – 7:05 pm (Winter)
Evening Aarti
8:30 pm Temple Closing Hours

 

  1. दरखास्त :-

भक्तो श्री मेहंदीपूर धाम में हर भक्त को दरखास्त लगानी चाहिए ये दरखास्त आपको मंदिर परिसर के पास किसी भी दुकान से मिल जाती है। इस दरखास्त में लड्डू, बतासे ओर घी होता है ये 10 रुपये की आती है दरखास्त का सर्व-प्रथम भोग श्री बाला जी महाराज जी का भोग लगता है फिर भैरो बाबा और फिर प्रेतराज सरकार का भोग उसके बाद सभी भक्तो वो दरखास्त का दौना अपने उपर से उतार कर मंदिर परिसर के बाहर एक स्थान है वहाँ पे पशु-पक्षियों के लिए डाल दिया जाता है मेहन्दीपुर धाम में जब हम जाए तो आने की दरखास्त, और जब वहाँ से वापिस आएँ तो वापिस आने की दरखास्त, यदि कोई भक्त कम समय की वजह से दुबारा दर्शन नही कर पा रहे है तो वो भक्त आने-जाने की दरखास्त एक बार में भी लगा सकते है और वहाँ पे ऐसी मान्यता है कि की दरखास्त हर भक्त को लगनी चाहिए।

  1. अर्जी :-

यदि हमारी कोई मनोकामना है या कोई प्राब्लम है तो उसके लिए हम श्री बाला जी महाराज जी के मंदिर में अर्जी लगाते है। अर्जी 281 रूपये की लगती है जिसमे बाला जी महाराज का लड्डू का भोग, भैरो बाबा का काली उर्द का भोग और प्रेतराज सरकार का चावल का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की जब अर्जी स्वीकार हो जाती है तो कुछ भक्त बाबा के दरवार में सवामणि करते है ओर कुछ भक्त हर बार सवामणि करते है। अर्जी का भोग लगाने का टाइम प्रातः 7:30 से 12:00 बजे तक होता है अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार सवामणि का भोग लगाते है।

नोट : – एकादशी के दिन श्री बाला जी मंदिर मे अर्जी का भोग नही लगता। यदि आपका अर्जी लगाना बेहद आवश्यक है तो आप लाल कपड़े में 281 रुपये बाँधकर श्री बाला जी महाराज के मंदिर मे अर्पित करें। क्योंकि अर्जी के भोग में प्रेतराज सरकार जी का चावल का भोग लगता है और एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है। इसलिए एकादशी के दिन अर्जी नही लगती है।

  1. सवामणि :-

श्री बालाजी महराज से मांगी कामना पूरी होने पर सवामणि का भोग लगाया जाता है । सवामणि के प्रसाद में हलुआ पूड़ी एवं लड्डू पूड़ी का भोग लगता है । सवामणि के भोग लगने का समय 11.30 बजे से लगभग 2.00 बजे तक होता है । सवामणि का भोग तीनो देव श्री बाला जी महाराज जी, श्री भैरव बाबा जी और श्री प्रेतराज सरकार जी का लगता है । सवामणि श्री राम दरबार में स्थित श्री राम दूत प्रसाद समिति द्वारा अथवा मंदिर के बहार किसी भी दूकान पर आर्डर करने पर आपको प्राप्त हो जाएगी । सवामणि का भोग स्वयं दरबार आकर लगवाना चाहिए ।

  1. राज भोग :-

राजभोग मंदिर परिसर मे ट्रस्ट द्वारा लगाया जाता है जिसका भोग श्री बाला जी महाराज को लगाया जाता है, फिर सभी भक्तो को श्री बाला जी महाराज जी के दर्शन बाद राज भोग का प्रसाद मिलता है। भक्तो राज भोग अमृत होता है हमारे बालाजी महाराज जी का। राज भोग श्री बाला जी महाराज के भवन मे मिलता है ओर सभी भक्तो को प्रेम पूर्वक खाना चाहिए एवं घर ले जाना चाहिए।

  1. श्री बालाजी महाराज का जल :-
    श्री बालाजी के मंदिर की विशेषता है कि बालाजी मंदिर में सुबह और शाम को आरती के बाद बाबा के जल के छींटे मिलते है। जिस किसी व्यक्ति को इस जल के छींटे मिलते है वह बहुत भाग्यशाली होते है, क्योंकि बालाजी का जल अमृत समान है। श्री बालाजी महाराज की बाईँ ओर हृदय के नीचे से एक बारीक जलधारा निरन्तर बहती रहती है जो पर्याप्त चोला चढ जाने पर भी बंद नही होती। भक्तजन यदि चाहे तो बाबा जी का जल का वितरण केवल सुबह 8 बजे से 10 तक होता है । जल का वितरण समाधि वाले बाबा के पास होता है।

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