भारतीय प्राचीन वाङ्गमय में बृहस्पति से बनने वाले योगों की बहुत प्रशंसा की गई है।
गजकेसरी योग तो अति प्रसिद्ध हुआ है, परन्तु शुक्र को भी बृहस्पति से कम शक्तिशाली नहीं माना गया है। केन्द्र में शुक्र का होना बृहस्पति की ही भाँति अत्यंत शुभ फल देता है। परन्तु अगर वह केन्द्र में अपनी स्वयं की राशि वृषभ या तुला में या उच्च राशि मीन में हों तो मालव्य योग का फल प्रदान करते हैं। यह योग इतना ही शक्तिशाली है, जितना पंचमहापुरुष योगों में ही एक अन्य योग हँस योग है। हँस योग में बृहस्पति जन्म पत्रिका के केन्द्र स्थान में अपनी ही राशि धनु या मीन में या उच्च राशि कर्क में स्थित होते हैं। केन्द्र स्थित शुक्र ने अत्यंत शक्तिशाली परिणाम दिये हैं। हम ऐसी कुछ जन्म पत्रिकाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं जिनमें गजकेसरी योग नहीं है, परन्तु शुक्र से बनने वाले योगों के कारण व्यक्तियों के जीवन में महानता आ गई है। यदि शुक्र केन्द्र में हों या चन्द्रमा से केन्द्र में हों तो समान रूप से शक्तिशाली होते हैं और राजयोग कारक भी होते हैं। यद्यपि गजकेसरी योग के लोग सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए पाये जाते हैं परन्तु चन्द्र-शुक्र से बनने वाले योग भी कम शक्तिशाली नहीं होते और लोगों के जीवन में बहुत उन्नति देखने को मिलती है।
गजकेसरी योग वाले व्यक्ति जीवन में राजनीति या क्षेत्राधिकार से सम्बन्धित मामलों में अधिक सफल पाये जाते हैं परन्तु शुक्र से बनने वाले योगों में व्यक्ति कला क्षेत्र में अधिक सफल पाये गये हैं। शुक्र कला क्षेत्रों में और गंधर्व विद्याओं के प्रणेता हैं और गंधर्व विद्याओं में अधिक सफलताएँ देते हैं या आध्यात्म की ओर ले जाते हैं। यद्यपि कुछ उच्च कोटि के राजनेता भी चन्द्र – शुक्र युति या चन्द्र-शुक्र केन्द्रीय सम्बन्ध वाले हुए हैं।
एक विशेष श्रेणी उन लोगों की है, जिनकी जन्म पत्रिओं के लग्न से या चन्द्रमा से केन्द्र में स्थित दोनों ही महान ग्रह गुरु और शुक्र स्थित हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा और उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला, जे.आर.डी. टाटा शामिल हैं। इस लेख में वर्णित फिल्मकारों, विश्वप्रसिद्ध लेखकों, शीर्ष व्यवसायियों और राष्ट्राध्यक्षों की जन्मपत्रिकाओं में शुक्र विशेष योग बना रहे हैं।
मैंने चन्द्रमा से केन्द्र में शुक्र होने पर उतना ही शक्तिशाली योग पाया है जितना कि गजकेसरी योग। क्यों नहीं इस योग का नाम रख दें ‘शुक्रकेसरी योग’।
पं.सतीश शर्मा, एस्ट्रो साइंस एडिटर