You are currently viewing राहु के दुष्प्रभाव को कम करता है गोमेद रत्न, जानें इसके चमत्कारी फायदे

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राशिरत्नों को सौरमंडल में मौजूद ग्रहों का अंश माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र में गोमेद रत्न का विशेष महत्व बताया गया है। गोमेद को राहु का रत्न माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, गोमेद रत्न धारण करने से राहु की स्थिति मजबूत होती है। यदि किसी जातक की कंडली में राहु की दशा खराब हो तो इसका दुष्प्रभाव कम करने के लिए गोमेद रत्न धारण करना चाहिए। हालांकि, गोमेद धारण करने से पहले ज्योतिषीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गोमेद रत्न किसे धारण करना चाहिए –

 

यदि जातक की कुंडली के केंद्र यानी कुंडली के 1, 4, 7 या 10वें भाव में राहु विराजमान हो तो गोमेद धारण करने से लाभ होता है।

 

यदि राहु राशि के छठवें और आठवें भाव या लग्न में स्थित हो तो गोमेद धारण करना चाहिए।

अगर राहु शुभ भावों का स्‍वामी हो और खुद किसी कुंडली के छठे या आठवें भाव में स्थित हो तो ऐसे लोगों का भी गोमेद धारण करना लाभदायक होता है।

यदि कोई व्यक्ति वकालत, न्‍याय और राजनीति के क्षेत्र में कार्य कर रहा है तथा उसमें और बेहतर करना चाहता है तो उसे गोमेद रत्न धारण करना चाहिए।

 

यदि किसी जातक की राशि या लग्‍न मिथुन, तुला, कुंभ या वृष हो, उनके लिए गोमेद रत्न धारण करना शुभ होता है।

 

यदि किसी जातक की कुंडली में राहु अपनी नीच राशि यानी धनु में हो तो ऐसे में गोमेद रत्न धारण करना काफी लाभकारी माना जाता है।

 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मकर राशि का स्‍वामी राहु को बताया जाता है इसलिए मकर राशि वाले लोगों के लिए भी गोमेद धारण करना शुभ माना जाता है।

यदि किसी जातक की कंडली में शुक्र, बुध के साथ राहु की युति हो रही हो तो जातक को गोमेद धारण करना चाहिए।

 

Leave a Reply