शश योग क्या होता है?
वैदिक ज्योतिष में पंच महापुरुष राजयोग होते हैं जिन के नाम हैं रूचक योग, भद्र योग, हंस योग, मालव्य योग एवं शश योग। शश योग इन्हीं पंच महापुरुष योगों में से एक राजयोग है।
कैसे बनता है यह योग?
यदि किसी कुंडली में लग्न से अथवा चंद्रमा से केंद्र के स्थानों में शनि स्थित हो। अर्थात यदि किसी कुंडली में शनि लग्न अथवा चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें स्थान में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में शश योग का निर्माण होता है।
शश योग में जन्मा व्यक्ति
- कद में मंझोला और शरीर से दुबले होता है।
- इनके दांत बाहर की ओर निकले हुआ होता है।
- शश योग के जातक का रंग श्यामवर्ण होता है।
- इनके नेत्र अंतिचंचल और देखने में क्रोधान्वित प्रतीत होते हैं।
- ऐसा जातक राजा, सचिव, सेनापति और जंगल पहाड़ आदि पर अधिकार रखने वाला या घूमने वाला होता है।
- यह जातक अपने देश से बहुत प्यार करते है। यह अपने राष्ट्र के प्रति सच्ची श्रद्धा रखते है।
- यह व्यक्ति धातुवाद में चतुर, दूसरों के छिद्रों को जानने वाला और जार क्रिया में निपुण होता है।
- ऐसा माना जाता है कि ऐसा जातक 70 वर्ष तक जिंदा रहकर राज्य करता है।
शश योग का फल
- जिस व्यक्ति की कुंडली में शश योग निर्माण होता है उसे उत्तम स्वास्थ्य, लंबी आयु, परिश्रमी स्वभाव, किसी भी बात का पूर्ण और सटीक विश्लेषण करने की क्षमता, सहनशीलता, छिपे हुए रहस्यों को जान लेने की क्षमता आदि शनि देव प्रदान करते हैं।
- जिस कुंडली में यह योग हो वह जातक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल होता है। ऐसा व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में भी शीर्ष पदों तक पहुंचता है और नाम कमाता है।
- शश योग के प्रभाव से व्यक्ति सामाजिक जीवन में बड़ा प्रतिष्ठित पद हासिल करता है। राजा के समान उसका सम्मान किया जाता है।
- कार्यक्षेत्र की बात की जाए तो जिन व्यक्तियों की कुंडली में शश योग का निर्माण हो रहा हो तो ऐसे व्यक्ति बड़े सरकारी अफसर, अभियंता, जज, वकील बनते हैं। बस इसमें देखने वाली बात यह होती है कि शनि की स्थिति कैसी है वह किस राशि के साथ विराजमान हैं और उनकी डिग्री कितनी है।
- इस योग वाले लोग भूमि, भवन संबंधी कार्यों में सफलता अर्जित करते हैं। शराब और ऑयल के व्यापारी होते हैं। इनके एक से अधिक व्यापार हो सकते हैं।